Constipation

Constipation

(CONSTIPATION)

कब्ज से अभिप्राय है, कि मल-त्याग न होना, मल-त्याग कम होना, मल में गांठें निकलना, लगातार पेट साफ न होना, रोजाना टट्टी नहीं जाना, भोजन पचने के बाद पैदा मल पूर्ण रूप से साफ न होना, टट्टी जाने के बाद पेट हल्का और साफ न होना आदि को कब्ज कहते हैं।
कारण :
खानपान सम्बंधी गलत आदतें जैसे- समय पर भोजन न करना, बासी और अधिक चिकनाई वाला भोजन, मैदा आदि से बनाया गया मांसाहारी भोजन, भोजन में फाइबर की कमी, अधिक भारी भोजन अधिक खाना, शौच को रोकने की आदत, शारीरिक श्रम न करना, विश्राम की कमी, मानसिक तनाव (टेंशन), आंतों का कमजोर होना, पानी की कमी, गंदगी में रहना, मादक द्रव्यों का सेवन, एलोपैथी दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण, भोजन के साथ अधिक पानी पीने, मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ जैसे-पूरी-कचौड़ी, नमकीन, चाट-पकौड़े खाने, अधिक गुस्सा, दु:ख आलस्य आदि कारणों से कब्ज हो जाती है।
लक्षण :
कब्ज से पीड़ित रोगी को अनेक प्रकार के लक्षण माने जाते हैं। जैसे- पेट में भारीपन होना , पेट में दर्द , भोजन में अरुचि (भोजन अच्छा न लगना), सुस्ती और बेचैनी,
जी मिचलाना, सिर में दर्द होना, पेट में दर्द होना, चक्कर आना, खांसी, श्वास (दमा), बवासीर (अर्श) आदि।
भोजन तथा परहेज :
दालों में मूंग और मसूर की दालें, सब्जियों में कम से कम मिर्च-मसालें डालकर
परवल, तोरई, टिण्डा , लौकी, आलू, शलजम, पालक और मेथी आदि को खा सकते हैं। आधे से ज्यादा चोकर मिलाकर गेहूं तथा जौ की रोटी खाएं। भूख से एक रोटी कम खाएं।
अमरूद , आम, आंवला, अंगूर, अंजीर, आलूचा, किशमिश, खूबानी और आलूबुखारा,
चकोतरा और संतरे, खरबूजा , खीरा, टमाटर , नींबू, बंदगोभी, गाजर , पपीता, जामुन , नाशपाती, नींबू, बेल , मुसम्मी, सेब आदि फलों का सेवन करें। दिन भर में 6-7 गिलास पानी अवश्य पीयें। मूंग की दाल की खिचड़ी खायें। फाइबर से बने खाने की चीजें का अधिक मात्रा में सेवन करें, जैसे- फजियां, ब्रैन (गेहूं, चावल और जई आदि का छिलका), पत्ते वाली सब्जियां, अगार, कुटी हुई जई, चाइनाग्रास और ईसबगोल आदि को कब्ज से परेशान रोगी को खाने में देना चाहिए।
तले पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले,
चावल , कठोर पदार्थ, खटाई, रबड़ी, मलाई, पेड़े आदि का सेवन न करें। कब्ज दूर करने के लिए हल्के व्यायाम और टहलने की क्रिया भी करें। पेस्ट्रियां, केक और मिठाइयां कम मात्रा में खानी चाहिए।

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